
रविवार, 28 जून 2020
चैत्र नवरात्रि में कल माँ को क्या भोग लगाये??.............

अष्टमी तिथि को जाने क्या भोग लगाये नवरात्र की..............

रविवार, 21 जून 2020
💰 *गुप्त नवरात्रि में आइये अर्थ (धन) की प्राप्ति करें ......
👦🏻 *गुप्त नवरात्रि में विद्यार्थियों के लिए विशेष जरूरी,.....
ससुराल कष्टों से मुक्ति के लिए 22 ,24 जून अनुष्ठान करें....
👺शत्रु को मित्र बनाने के लिए नवरात्री में इसका अनुष्ठान करें 👺
22 जून 2020 गुप्त नवरात्रि की लाख लाख बधाई
शनिवार, 20 जून 2020
ग्रहण में गंगा जल से मंत्र का 10 करोड़ फलदायी होता है......
ग्रहण में ना करने योग्य ........
विदेश के कुछ प्रमुख स्थानों के ग्रहण-समय…....
आइये भारत में ग्रहण समय को सभी क्षेत्रों में जाने.........
ग्रहण में क्या करे ,क्या नही जानिए ......
सूर्यग्रहण ग्रहण-समय सुबह 10:01 से दोपहर 01:33 तक है
ग्रहण में इस मंत्र की जप करें :-*
मंगलवार, 16 जून 2020
*पति पत्नी में अनबन हो तो आइये वशीकरण करे ....................
🤵🏻👰🏻 *पति पत्नी में अनबन हो तो आइये वशीकरण करे नवरात्री के नवमी की रात चंदन और केसर पाउडर मिलाकर पान के पत्ते पर रखें । फिर दुर्गा माताजी की फोटो के सामने बैठ कर चंडी स्तोत्र का पाठ करें तथा रोजाना इस पाउडर का तिलक लगाएं ।
आइये थोड़ा वास्तु हो जाये 5...............
🙏🏻 हनुमानजी बाल ब्रहमचारी है इसलिए उनकी तस्वीर बेडरूम में नहीं लगानी चाहिए। बेडरूम में लगाई गई हनुमानजी की तस्वीर शुभ फल नहीं देती है। यदि घर में देवी-देवताओं के चित्र लगे हों तो घर में कई तरह की परेशानियां दूर हो जाती हैं और घर में सुख-शांति बनी रहती है। वास्तुशास्त्र के अनुसार, घर में हनुमान जी की तस्वीर लगाने से कई लाभ मिलते हैं। अगर घर में वास्तु के नियमानुसार सही दिशा में सही तरह से हनुमानजी की तस्वीर लगाई जाए तो कई लाभ हो सकते हैं।
आइये थोड़ा वास्तु हो जाये 4......
भगवान हनुमानजी की तस्वीर घर या दुकान में दक्षिण दिशा की ओर लगाना सबसे अच्छा माना जाता है। क्योंकि हनुमानजी ने अपनी शक्तियों का प्रयोग दक्षिण दिशा की ओर दिखाया था।
आइये थोड़ा वास्तु हो जाये.3......
घर मे पंचमुखी, पर्वत उठाते हुए या राम भजन करते हुए हनुमानजी की तस्वीर लगाना सबसे अच्छा होता है। इससे घर के सभी दोष खत्म हो जाते हैं।
आइये थोड़ा वास्तु हो जाये 2 .......
आइये थोड़ा वास्तु हो जाये 1.......
जिस रुप में हनुमानजी अपनी शक्ति का प्रदर्शन कर रहे हो. ऐसी तस्वीर घर में लगाने से किसी तरह की बुरी शक्ति घर में प्रवेश नहीं कर पाती।
आचार्य आशुकवि पङ्कज
आइये थोड़ा वास्तु हो जाये.......
आचार्य आशुकवि पङ्कज
रामायण_में एक घास के तिनके का भी रहस्य है...................
#रामायण_में एक घास के तिनके का भी रहस्य है, जो हर किसी को नहीं मालूम क्योंकि आज तक हमने हमारे ग्रंथो को
सिर्फ पढ़ा, समझने की कोशिश नहीं की।
रावण ने जब माँ सीता जी का हरण करके लंका ले गया तब लंका मे सीता जी वट वृक्ष के नीचे बैठ कर चिंतन करने लगी। रावण बार बार आकर माँ सीता जी को धमकाता था, लेकिन माँ सीता जी कुछ नहीं बोलती थी। यहाँ तक की रावण ने श्री राम जी के वेश भूषा मे आकर माँ सीता जी को
भ्रमित करने की भी कोशिश की लेकिन फिर भी सफल नहीं हुआ,
रावण थक हार कर जब अपने शयन कक्ष मे गया तो मंदोदरी ने उससे कहा आप तो राम का वेश धर कर गये थे, फिर क्या हुआ?
रावण बोला- जब मैं राम का रूप लेकर सीता के समक्ष गया तो सीता मुझे नजर ही नहीं आ रही थी ।
रावण अपनी समस्त ताकत लगा चुका था लेकिन जिस जगत जननी माँ को आज तक कोई नहीं समझ सका, उन्हें रावण भी कैसे समझ पाता !
रावण एक बार फिर आया और बोला मैं तुमसे सीधे सीधे संवाद करता हूँ लेकिन तुम कैसी नारी हो कि मेरे आते ही घास का तिनका उठाकर उसे ही घूर-घूर कर देखने लगती हो,
क्या घास का तिनका तुम्हें राम से भी ज्यादा प्यारा है?
रावण के इस प्रश्न को सुनकर माँ सीता जी बिलकुल चुप हो गयी और उनकी आँखों से आसुओं की धार बह पड़ी।
इसकी सबसे बड़ी वजह थी कि
जब श्री राम जी का विवाह माँ सीता जी के साथ हुआ,तब सीता जी का बड़े आदर सत्कार के साथ गृह प्रवेश भी हुआ। बहुत उत्सव मनाया गया। *प्रथानुसार नव वधू विवाह पश्चात जब ससुराल आती है तो उसके हाथ से कुछ मीठा पकवान बनवाया जाता है, ताकि जीवन भर घर में मिठास बनी रहे।*
इसलिए माँ सीता जी ने उस दिन अपने हाथों से घर पर खीर बनाई और समस्त परिवार, राजा दशरथ एवं तीनों रानियों सहित चारों भाईयों और ऋषि संत भी भोजन पर आमंत्रित थे।
माँ सीता ने सभी को खीर परोसना शुरू किया, और भोजन शुरू होने ही वाला था की ज़ोर से एक हवा का झोका आया। सभी ने अपनी अपनी पत्तलें सम्भाली,सीता जी बड़े गौर से सब देख रही थी।
ठीक उसी समय राजा दशरथ जी की खीर पर एक छोटा सा घास का तिनका गिर गया, जिसे माँ सीता जी ने देख लिया। लेकिन अब खीर मे हाथ कैसे डालें? ये प्रश्न आ गया। माँ सीता जी ने दूर से ही उस तिनके को घूर कर देखा वो जल कर राख की एक छोटी सी बिंदु बनकर रह गया। सीता जी ने सोचा 'अच्छा हुआ किसी ने नहीं देखा'।
लेकिन राजा दशरथ माँ सीता जी
के इस चमत्कार को देख रहे थे। फिर भी दशरथ जी चुप रहे और अपने कक्ष पहुचकर माँ सीता जी को बुलवाया ।
फिर उन्होंने सीताजी से कहा कि मैंने आज भोजन के समय आप के चमत्कार को देख लिया था ।
आप साक्षात जगत जननी स्वरूपा हैं, लेकिन एक बात आप मेरी जरूर याद रखना।
आपने जिस नजर से आज उस तिनके को देखा था उस नजर से आप अपने शत्रु को भी कभी मत देखना।
इसीलिए माँ सीता जी के सामने जब भी रावण आता था तो वो उस घास के तिनके को उठाकर राजा दशरथ जी की बात याद कर लेती थी।
*तृण धर ओट कहत वैदेही*
*सुमिरि अवधपति परम् सनेही*
*यही है उस तिनके का रहस्य* !
इसलिये माता सीता जी चाहती तो रावण को उस जगह पर ही राख़ कर
सकती थी, लेकिन राजा दशरथ जी को दिये वचन एवं भगवान श्रीराम को रावण-वध का श्रेय दिलाने हेतु वो शांत रही !
ऐसी विशालहृदया थीं हमारी जानकी माता !
जय हो प्रभु श्री राम जी की
साभार:कनक मिश्र🙏दो मायने है पहला सामाजिक मायना है किसी भी परपुरुष से बात करते समय एक पर्दा होना चाहिए किसी भी चीज की ओट होना चाहिए दूसरा मायना है सीता जी आदि शक्ति है अगर वह सीधे रावण से संवाद कर देती तो रावण स्वयं जलकर के भस्म हो जातामां सीता भूमि पुत्री हैं
और घास का तिनका अथवा घास भी भूमि की ही संतान है
ऐसे में भूमि से ही उत्पन्न घास का तिनका मां सीता का भाई है
सनातन धर्म की पुरातन परंपरा के अनुसार कोई भी स्त्री अपने भाई, देवर, पिता, पति की ओट से ही पराए पुरुष से बात करती थी
ऐसे में सीता जी घास के तिनका जो की उनका भाई है उसे आगे कर उसकी ओट से रावण से वार्ता किया करती थी
ऐसा करने से उनके सतीत्व की भी रक्षा होती थी
मां गंगा की जल धारा का रहस्य.................
झारखंड के रामगढ़ में भगवान शिव का एक ऐसा मंदिर है जहां शिवलिंग पर जलाभिषेक कोई और नहीं स्वयं मां गंगा करती हैं.मंदिर की खासियत ये है कि यहां जलाभिषेक साल के बारह महीने और चौबीस घंटे होता है.यह पूजा सदियों से चली आ रही है.माना जाता है कि इस जगह का उल्लेख पुराणों में भी मिलता है.भक्तों की आस्था है कि यहां पर मांगी गई हर मुराद पूरी होती है.अंग्रेजों के जमाने से जुड़ा है इतिहास.झारखंड के रामगढ़ जिले में स्थित इस प्राचीन शिव मंदिर को लोग टूटी झरना के नाम से जानते है. मंदिर का इतिहास 1925 से जुड़ा हुआ है और माना जात है कि तब अंग्रेज इस इलाके से रेलवे लाइन बिछाने का काम कर रहे थे. पानी के लिए खुदाई के दौरान उन्हें जमीन के अन्दर कुछ गुम्बदनुमा चीज दिखाई पड़ा. अंग्रेजों ने इस बात को जानने के लिए पूरी खुदाई करवाई और अंत में ये मंदिर पूरी तरह से नजर आया.शिव भगवान की होती है पूजा मंदिर के अन्दर भगवान भोले का शिव लिंग मिला और उसके ठीक ऊपर मां गंगा की सफेद रंग की प्रतिमा मिली. प्रतिमा के नाभी से आपरूपी जल निकलता रहता है जो उनके दोनों हाथों की हथेली से गुजरते हुए शिव लिंग पर गिरता है. मंदिर के अन्दर गंगा की प्रतिमा से स्वंय पानी निकलना अपने आप में एक कौतुहल का विषय बना है.
मां गंगा की जल धारा का रहस्य
सवाल यह है कि आखिर यह पानी अपने आप कहा से आ रहा है. ये बात अभी तक रहस्य बनी हुई है. कहा जाता है कि भगवान शंकर के शिव लिंग पर जलाभिषेक कोई और नहीं स्वयं मां गंगा करती हैं. यहां लगाए गए दो हैंडपंप भी रहस्यों से घिरे हुए हैं. यहां लोगों को पानी के लिए हैंडपंप चलाने की जरूरत नहीं पड़ती है बल्कि इसमें से अपने-आप हमेशा पानी नीचे गिरता रहता है. वहीं मंदिर के पास से ही एक नदी गुजरती है जो सूखी हुई है लेकिन भीषण गर्मी में भी इन हैंडपंप से पानी लगातार निकलता रहता है.
दर्शन के लिए बड़ी संख्या में आते हैं श्रद्धालु
लोग दूर-दूर से यहां पूजा करने आते हैं और साल भर मंदिर में श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है. श्रद्धालुओं का मानना हैं कि टूटी झरना मंदिर में जो कोई भक्त भगवान के इस अदभुत रूप के दर्शन कर लेता है उसकी मुराद पूरी हो जाती है. भक्त शिवलिंग पर गिरने वाले जल को प्रसाद के रूप में ग्रहण करते हैं और इसे अपने घर ले जाकर रख लेते हैं. इसे ग्रहण करने के साथ ही मन शांत हो जाता है और दुखों से लड़ने की ताकत मिल जाती है.💐शुभप्रभात हरे कृष्ण💐
आइये सुख-समृद्धि की सदैव वृद्धि हेतु कुछ करें .............
🏡 *घर के मध्य में तुलसी का पौधा होने से घर में प्रेम के साथ-साथ सुख-समृद्धि की भी सदैव वृद्धि होती रहती है।
🌷 *धन और स्वास्थ्य की कमी दूर करने के लिए 🌷......
ज्योतिष उपाय करें। * जिन लोगों के घर में धन और स्वास्थ्य सम्बन्धी कमी का एहसास नित्य होता है, पैसों की भी कमी रहती है और स्वास्थ्य में भी कभी कोई बीमार तो कभी कोई बीमार रहता हो उनके लिए पद्म पुराण में बताया है- वैशाख मास का एक प्रयोग | वैशाख मास की बहुत महिमा बताई है | वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की सप्तमी को पद्म पुराण में उसको शर्करा सप्तमी कहा गया है और वो शर्करा सप्तमी 30 अप्रैल 2020 गुरुवार को है । उस दिन पानी में सफ़ेद तिल मिलाकर भगवन्नाम सुमिरन करते हुए स्नान करें | फिर सूर्य भगवान की ओर मुख करके सूर्यदेव और माँ गायत्री को प्रणाम करें | सूर्य भगवान को इन मंत्रों से प्रणाम करें-*
🌷 *ॐ नम: सवित्रे | ॐ नम: सवित्रे | ॐ नम: सवित्रे |*
*विश्व देव मयो यस्मात वेदवादी ति पठ्यसे |*
*त्वमेवा मृतसर्वस्व मत: पाहि सनातन ||*
🌞 *ये मंत्र बोलकर सूर्यनारायण को व अन्य देवों को मन ही मन प्रणाम करें | अर्घ्य तो देते ही हैं | सूर्य भगवान को जो अर्घ्य ना दें वो आदमी हिंदू कहलाने के लायक नहीं है
➡ *ये कर लिया 30 अप्रैल 2020 गुरुवार को फिर दूसरे दिन 01 मई 2020 शुक्रवार को हो सके तो अपने हाथों से दूध चावल की खीर बनाकर उसमें थोड़ा घी डालकर.. थोड़ा-सा भले ज्यादा ना डाल सके एक चम्मच डाल दें और किसी को .. १-२ व्यक्तियों को खिला दें | कोई ब्राह्मण हो, कोई साधू-महात्मा हो | खीर के साथ थोड़ा रोटी सब्जी दे दें किसी १ व्यक्ति को भी ।*
🙏🏻 *अगर ब्राह्मण न मिले, कोई साधू ना मिले तो छोटी बच्चियों को खिला दें | कन्या को खिला दो तो भी अच्छा है | ऐसा करने से ऐश्वर्य और आरोग्य दोनों की वृद्धि होती है |
आइये जाने किन बातों से होती है लक्ष्मी की हानि..........
आइये जाने किन बातों से होती है लक्ष्मी की हानि
🌷 कुचैलिनं दन्तमलोपधारिणं बह्राशिनं निष्ठुरवाक्यभाषिणीम् |*सूर्योदये ह्यस्तमयेऽपि शायिनं विमुत्र्चति श्रीरपि चक्रपाणिम् ||*
🧑🏻 *‘जो मलिन वस्त्र धारण करता है, दाँतों को स्वच्छ नहीं रखता, अधिक भोजन करनेवाला है, कठोर वचन बोलता है, सूर्योदय तथा सूर्यास्त के समय भी सोता है, वह यदि साक्षात् चक्रपाणि विष्णु हों तो उन्हें भी लक्ष्मी छोड़ देती हैं |’ (गरुड़ पुराण : ११४.३५)
आचार्य आशुकवि पङ्कज उमर......
आइये अपने बहन को ससुराल मे कोई तकलीफ हो तो उसके ज्योतिष उपाय करें...........
आचार्य आशुकवि पङ्कज ऊमर
अन्तराष्ट्रीय शोधार्थी भारत
ज्योतिष गुप्तचर विभाग दिल्ली
कर्ज से मुक्ति हेतु 26 मई को करे ये उपाय..........
🙏🏻 *शुक्ल पक्ष हो किसी भी मास का, शुक्ल पक्ष के प्रथम मंगलवार को शिवलिंग पर दूध व जल के बाद मसूर की दाल अर्पण करते हुये ये मंत्र बोले –
🌷 *ॐ ऋणमुक्तेश्वर महादेवाय नम: ।
🙏🏻 *तो इससे ऋण, कर्जे से मुक्ति मिलती है।
🔴मौली (कलावा) विशेष......................
🔴मौली (कलावा) विशेष
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मौली बांधना वैदिक परंपरा का हिस्सा है। यज्ञ के दौरान इसे बांधे जाने की परंपरा तो पहले से ही रही है, लेकिन इसको संकल्प सूत्र के साथ ही रक्षा-सूत्र के रूप में तब से बांधा जाने लगा, जबसे असुरों के दानवीर राजा बलि की अमरता के लिए भगवान वामन ने उनकी कलाई पर रक्षा-सूत्र बांधा था। इसे रक्षाबंधन का भी प्रतीक माना जाता है, जबकि देवी लक्ष्मी ने राजा बलि के हाथों में अपने पति की रक्षा के लिए यह बंधन बांधा था। मौली को हर हिन्दू बांधता है। इसे मूलत: रक्षा सूत्र कहते हैं।
💫मौली का अर्थ
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मौली' का शाब्दिक अर्थ है 'सबसे ऊपर'। मौली का तात्पर्य सिर से भी है। मौली को कलाई में बांधने के कारण इसे कलावा भी कहते हैं। इसका वैदिक नाम उप मणिबंध भी है। मौली के भी प्रकार हैं। शंकर भगवान के सिर पर चन्द्रमा विराजमान है इसीलिए उन्हें चंद्रमौली भी कहा जाता है।
💫कैसी होती है मौली?
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मौली कच्चे धागे (सूत) से बनाई जाती है जिसमें मूलत: 3 रंग के धागे होते हैं- लाल, पीला और हरा, लेकिन कभी-कभी यह 5 धागों की भी बनती है जिसमें नीला और सफेद भी होता है। 3 और 5 का मतलब कभी त्रिदेव के नाम की, तो कभी पंचदेव।
💫कहां-कहां बांधते हैं मौली?
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मौली को हाथ की कलाई, गले और कमर में बांधा जाता है। इसके अलावा मन्नत के लिए किसी देवी-देवता के स्थान पर भी बांधा जाता है और जब मन्नत पूरी हो जाती है तो इसे खोल दिया जाता है। इसे घर में लाई गई नई वस्तु को भी बांधा जाता और इसे पशुओं को भी बांधा जाता है।
💫मौली बांधने के नियम
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शास्त्रों के अनुसार पुरुषों एवं अविवाहित कन्याओं को दाएं हाथ में कलावा बांधना चाहिए। विवाहित स्त्रियों के लिए बाएं हाथ में कलावा बांधने का नियम है।
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कलावा बंधवाते समय जिस हाथ में कलावा बंधवा रहे हों, उसकी मुट्ठी बंधी होनी चाहिए और दूसरा हाथ सिर पर होना चाहिए।
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मौली कहीं पर भी बांधें, एक बात का हमेशा ध्यान रहे कि इस सूत्र को केवल 3 बार ही लपेटना चाहिए व इसके बांधने में वैदिक विधि का प्रयोग करना चाहिए।
💫कब बांधी जाती है मौली?
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पर्व-त्योहार के अलावा किसी अन्य दिन कलावा बांधने के लिए मंगलवार और शनिवार का दिन शुभ माना जाता है।
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हर मंगलवार और शनिवार को पुरानी मौली को उतारकर नई मौली बांधना उचित माना गया है। उतारी हुई पुरानी मौली को पीपल के वृक्ष के पास रख दें या किसी बहते हुए जल में बहा दें।
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प्रतिवर्ष की संक्रांति के दिन, यज्ञ की शुरुआत में, कोई इच्छित कार्य के प्रारंभ में, मांगलिक कार्य, विवाह आदि हिन्दू संस्कारों के दौरान मौली बांधी जाती है।
💫क्यों बांधते हैं मौली?
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मौली को धार्मिक आस्था का प्रतीक माना जाता है।
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किसी अच्छे कार्य की शुरुआत में संकल्प के लिए भी बांधते हैं।
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किसी देवी या देवता के मंदिर में मन्नत के लिए भी बांधते हैं।
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मौली बांधने के 3 कारण हैं- पहला आध्यात्मिक, दूसरा चिकित्सीय और तीसरा मनोवैज्ञानिक।
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किसी भी शुभ कार्य की शुरुआत करते समय या नई वस्तु खरीदने पर हम उसे मौली बांधते हैं ताकि वह हमारे जीवन में शुभता प्रदान करे।
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हिन्दू धर्म में प्रत्येक धार्मिक कर्म यानी पूजा-पाठ, उद्घाटन, यज्ञ, हवन, संस्कार आदि के पूर्व पुरोहितों द्वारा यजमान के दाएं हाथ में मौली बांधी जाती है।
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इसके अलावा पालतू पशुओं में हमारे गाय, बैल और भैंस को भी पड़वा, गोवर्धन और होली के दिन मौली बांधी जाती है।
💫मौली करती है रक्षा
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मौली को कलाई में बांधने पर कलावा या उप मणिबंध करते हैं। हाथ के मूल में 3 रेखाएं होती हैं जिनको मणिबंध कहते हैं। भाग्य व जीवनरेखा का उद्गम स्थल भी मणिबंध ही है। इन तीनों रेखाओं में दैहिक, दैविक व भौतिक जैसे त्रिविध तापों को देने व मुक्त करने की शक्ति रहती है।
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इन मणिबंधों के नाम शिव, विष्णु व ब्रह्मा हैं। इसी तरह शक्ति, लक्ष्मी व सरस्वती का भी यहां साक्षात वास रहता है। जब हम कलावा का मंत्र रक्षा हेतु पढ़कर कलाई में बांधते हैं तो यह तीन धागों का सूत्र त्रिदेवों व त्रिशक्तियों को समर्पित हो जाता है जिससे रक्षा-सूत्र धारण करने वाले प्राणी की सब प्रकार से रक्षा होती है। इस रक्षा-सूत्र को संकल्पपूर्वक बांधने से व्यक्ति पर मारण, मोहन, विद्वेषण, उच्चाटन, भूत-प्रेत और जादू-टोने का असर नहीं होता।
💫आध्यात्मिक पक्ष
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शास्त्रों का ऐसा मत है कि मौली बांधने से त्रिदेव- ब्रह्मा, विष्णु व महेश तथा तीनों देवियों- लक्ष्मी, पार्वती व सरस्वती की कृपा प्राप्त होती है। ब्रह्मा की कृपा से कीर्ति, विष्णु की कृपा से रक्षा तथा शिव की कृपा से दुर्गुणों का नाश होता है। इसी प्रकार लक्ष्मी से धन, दुर्गा से शक्ति एवं सरस्वती की कृपा से बुद्धि प्राप्त होती है।
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यह मौली किसी देवी या देवता के नाम पर भी बांधी जाती है जिससे संकटों और विपत्तियों से व्यक्ति की रक्षा होती है। यह मंदिरों में संकल्प पूर्ति के लिए भी बांधी जाती है।
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इसमें संकल्प निहित होता है। मौली बांधकर किए गए संकल्प का उल्लंघन करना अनुचित और संकट में डालने वाला सिद्ध हो सकता है। यदि आपने किसी देवी या देवता के नाम की यह मौली बांधी है तो उसकी पवित्रता का ध्यान रखना भी जरूरी हो जाता है।
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कमर पर बांधी गई मौली के संबंध में विद्वान लोग कहते हैं कि इससे सूक्ष्म शरीर स्थिर रहता है और कोई दूसरी बुरी आत्मा आपके शरीर में प्रवेश नहीं कर सकती है। बच्चों को अक्सर कमर में मौली बांधी जाती है। यह काला धागा भी होता है। इससे पेट में किसी भी प्रकार के रोग नहीं होते।
💫चिकित्सीय पक्ष
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प्राचीनकाल से ही कलाई, पैर, कमर और गले में भी मौली बांधे जाने की परंपरा के चिकित्सीय लाभ भी हैं। शरीर विज्ञान के अनुसार इससे त्रिदोष अर्थात वात, पित्त और कफ का संतुलन बना रहता है। पुराने वैद्य और घर-परिवार के बुजुर्ग लोग हाथ, कमर, गले व पैर के अंगूठे में मौली का उपयोग करते थे, जो शरीर के लिए लाभकारी था। ब्लड प्रेशर, हार्टअटैक, डायबिटीज और लकवा जैसे रोगों से बचाव के लिए मौली बांधना हितकर बताया गया है।
💫हाथ में बांधे जाने का लाभ
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शरीर की संरचना का प्रमुख नियंत्रण हाथ की कलाई में होता है अतः यहां मौली बांधने से व्यक्ति स्वस्थ रहता है। उसकी ऊर्जा का ज्यादा क्षय नहीं होता है। शरीर विज्ञान के अनुसार शरीर के कई प्रमुख अंगों तक पहुंचने वाली नसें कलाई से होकर गुजरती हैं। कलाई पर कलावा बांधने से इन नसों की क्रिया नियंत्रित रहती है।
💫कमर पर बांधी गई मौली
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कमर पर बांधी गई मौली के संबंध में विद्वान लोग कहते हैं कि इससे सूक्ष्म शरीर स्थिर रहता है और कोई दूसरी बुरी आत्मा आपके शरीर में प्रवेश नहीं कर सकती है। बच्चों को अक्सर कमर में मौली बांधी जाती है। यह काला धागा भी होता है। इससे पेट में किसी भी प्रकार के रोग नहीं होते।
💫मनोवैज्ञानिक लाभ
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मौली बांधने से उसके पवित्र और शक्तिशाली बंधन होने का अहसास होता रहता है और इससे मन में शांति और पवित्रता बनी रहती है। व्यक्ति के मन और मस्तिष्क में बुरे विचार नहीं आते और वह गलत रास्तों पर नहीं भटकता है। कई मौकों पर इससे व्यक्ति गलत कार्य करने से बच जाता है।
कलावा (मौली) बांधने का वैज्ञानिक राज।
अक्सर घरों और मंदिरों में पूजा में पंडित जी हमारी कलाई पर लाल रंग का कलावा या मौली बांधते हैं। हम में से बहुत से लोग बिना इसकी जरुरत को पहचाते हुए इसे हाथों में बंधवा लेते हैं।
लेकिन हिंदू धर्म में कोई भी काम बिना वैज्ञानिक दृष्टि से हो कर नहीं गुजरता।मौली का धागा कोई ऐसा वैसा नहीं होता।
यह कच्चे सूत से तैयार किया जाता है।
यह कई रंगों जैसे, लाल,काला, पीला,
सफेदया नारंगी रंगों में होती है।
कलावा को लोग हाथ, गले, बाजूऔ कमर पर बांधते हैं। कलावा बांध ने से आपको भगवान ब्रह्मा, विष्णु व महेश तथा तीनों देवियों- लक्ष्मी, पार्वतीव सरस्वती की कृपा प्राप्त होती है।
इससे आप हमेशा बुरी दृष्टि से बचे रह सकते हैं। लेकिन केवल यही नहीं इसे हाथों में बांध ने से स्वास्थ्य में भी बरकत होती है। इस धागेको कलाई पर बांधने से शरीर में वात,पित्त तथा कफके दोष में सामंजस्य बैठता है।
पूजा पाठ के समय धोती पहनना क्यूं आवश्यक है
माना जाता है कि कलावा बांधने से रक्तचाप, हृदय रोग, मधुमेह और लकवा जैसे गंभीर रोगों से काफी हद तक बचाव होता है। शरीर की संरचना का प्रमुख नियंत्रण हाथ की कलाई में होता है, इसलिये इसे बांधने से व्यक्ति स्वस्थ रहता है।
इस बातकी भी सलाह दी जाती है कि कलावा बांधने से रक्तचाप, हृदय रोग,मधुमेह और लकवा जैसे गंभीर रोगों से काफी हद तक बचाव होता है।
कब कैसे धारण करें कलावा?
शास्त्रों के अनुसार पुरुषों एवं अविवाहित कन्याओं को दाएं हाथ में कलावा बांधना चाहिए। विवाहित स्त्रियों के लिए बाएं हाथ में कलावा बांध ने का नियम है। कलावा बंधवाते समय जिस हाथ में कलावा बंधवा रहे हों उसकी मुठ्ठी बंधी होनी चाहिए और दूसरा हाथ सिर पर होना चाहिए। पर्व त्योहार के अलावा किसी अन्य दिन कलावा बांध ने के लिए मंगलवार और शनिवार का दिन शुभ माना जाता....आप भी सभी जरूर बंधवाएं ..
आइये प्रेम विवाह में होने वाले बाधा का शमन करे...............
ॐ ज्लौम रहौं क्रोम उत्तरनाथ भैरवाय स्वाहा: ---------- उपरोक्त मंत्र का जाप करें व भैरव देवता को मीठी रोटी का प्रसाद बना कर अर्पित करें।
आइये घर में अशांति निवृति हेतु निवारण करे ..........
🌷 *आइये घर में अशांति निवृति हेतु निवारण करे * 🌷
आचार्य आशुकवि पङ्कज
अन्तराष्ट्रीय शोधार्थी भारत
ज्योतिष गुप्तचर विभाग दिल्ली
आइये जाने कौन से वार को व्रत करने से क्या लाभ होगा...............
➡ *सोमवार का व्रत...उग्र है तो , क्रोध आदि दुर्गुण मिटाने के लिए*
➡ *मंगलवार का व्रत... शांति पाने, धन का अभाव मिटा ने*
➡ *बुधवार का व्रत... ज्ञान विकसित करता है.. बुद्धि बढ़ाने के लिए*
➡ *गुरुवार का व्रत... बुद्धि का व्रत है..बुध्दि का छिछरापन दूर करेगा...मन की चंचलता दूर करने*
➡ *शुक्रवार का व्रत... ओज की रक्षा करेगा..वीर्यवान होने के लिए, स्वप्नदोष...प्रदर रोग की बीमारियाँ मिटाने के लिए*
➡ *शनिवार का व्रत... सांसारिक आपदाओं से रक्षा करता है.. हनुमानजी के लिए*
➡ *रविवार का व्रत... स्वास्थ्य के लिए करते...सूर्य का ध्यान करे.. आरोग्य प्रदायक मन जाता.... व्रत ना करे तो ध्यान से भी आरोग्य मिलाता...*
शुक्रवार, 5 जून 2020
ग्रहण में गर्भवती स्त्री का हो सुरक्षा
05 जून ग्रहण से ग्रह दोष उपाय
नही डरना उपछाया है चन्द्र ग्रहण
सोमवार, 1 जून 2020
कोरोना से बचाव ,काम धंधे में सफलता एवं राज योग के लिए आइये ज्योतिष उपाय करें..............
आइये सौभाग्य-रक्षा और सुख-शांति व समृद्धि बढ़ाने हेतु
🌷 *आइये सौभाग्य-रक्षा और सुख-शांति व समृद्धि बढ़ाने हेतु एक प्रयोग सीखे..👩🏻 माताएँ-बहनें रोज स्नान के बाद पार्वती माता का स्मरण करते-करत...

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घर मे अपने बच्चों का मेज कभी भी दक्षिण दिशा में नही रखना चाहिए इससे बच्चा आलसी,जिद्दी ,कुसंस्कारी होने लगता है और उसका मन शिक्षा की तरफ से...
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🌷 *आइये सभी ग्रह दोष की शांति के लिए शिव भगवान की पूजा करें। कुंडली में ग्रहों की अशुभ स्थिति हो तो दुर्भाग्य का सामना करना पड़ सकता है। क...
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गंगा जयंती की लाख लाख बधाई आइये गंगा जयंती महत्व को विस्तार से जाने ...... 🙏🏻 *गंगा जयंती हिन्दुओं का एक प्रमुख पर्व है | वैशाख शुक्ल सप...