रविवार, 26 जुलाई 2020

आइये सावन सोमवार को शिव को प्रसन्न करे ओर अपने मनोकामना पूर्ण करें....

🌷 आइये सावन सोमवार को शिव को प्रसन्न करे
ओर अपने मनोकामना पूर्ण करें 27 जुलाई सावन में शिव भक्त भगवान भोलेनाथ को प्रसन्न करने के लिए अनेक उपाय करते हैं। कुछ ऐसे ही छोटे और अचूक उपायों के बारे शिवपुराण में भी लिखा है। ये उपाय इतने सरल हैं कि इन्हें आसानी से किया जा सकता है। सावन में ये उपाय विधि-विधान पूर्वक करने से भक्तों की हर इच्छा पूरी हो सकती है। ये उपाय इस प्रकार हैं-*
🙏🏻 *शिवपुराण के अनुसार, भगवान शिव को प्रसन्न करने के उपाय इस प्रकार हैं-*
➡ *1. भगवान शिव को चावल चढ़ाने से धन की प्राप्ति होती है।*
➡ *2. तिल चढ़ाने से पापों का नाश हो जाता है।*
➡ *3. जौ अर्पित करने से सुख में वृद्धि होती है।*
➡ *4. गेहूं चढ़ाने से संतान वृद्धि होती है।*
🙏🏻 *शिवपुराण के अनुसार, जानिए भगवान शिव को कौन-सा रस (द्रव्य) चढ़ाने से क्या फल मिलता है-*
👉🏻 *1. बुखार होने पर भगवान शिव को जल चढ़ाने से शीघ्र लाभ मिलता है। सुख व संतान की वृद्धि के लिए भी जल द्वारा शिव की पूजा उत्तम बताई गई है।*
👉🏻 *2. तेज दिमाग के लिए शक्कर मिला दूध भगवान शिव को चढ़ाएं।*
👉🏻 *3. शिवलिंग पर गन्ने का रस चढ़ाया जाए तो सभी आनंदों की प्राप्ति होती है।*
👉🏻 *4. शिव को गंगा जल चढ़ाने से भोग व मोक्ष दोनों की प्राप्ति होती है।*
👉🏻 *5. शहद से भगवान शिव का अभिषेक करने से टीबी रोग में आराम मिलता है।*
👉🏻 *6. यदि शारीरिक रूप से कमजोर कोई व्यक्ति भगवान शिव का अभिषेक गाय के शुद्ध घी से करे तो उसकी कमजोरी दूर हो सकती है।*
🙏🏻 *शिवपुराण के अनुसार, जानिए भगवान शिव को कौन-सा फूल चढ़ाने से क्या फल मिलता है-*
🌷 *1. लाल व सफेद आंकड़े के फूल से भगवान शिव का पूजन करने पर मोक्ष की प्राप्ति होती है।*
🌸 *2. भगवान शिव की पूजा चमेली के फूल से करने पर वाहन सुख मिलता है।*
💐 *3. अलसी के फूलों से शिव की पूजा करने पर मनुष्य भगवान विष्णु को प्रिय होता है।*
🌸 *4. शमी वृक्ष के पत्तों से पूजन करने पर मोक्ष प्राप्त होता है।*
🍀 *5. बेला के फूल से पूजा करने पर सुंदर व सुशील पत्नी मिलती है।*
🌼 *6. जूही के फूल से भगवान शिव की पूजा करें तो घर में कभी अन्न की कमी नहीं होती।*
🌺 *7. कनेर के फूलों से भगवान शिव की पूजा करने से नए वस्त्र मिलते हैं।*
🍀 *8. हरसिंगार के फूलों से पूजन करने पर सुख-सम्पत्ति में वृद्धि होती है।*
🌸 *9. धतूरे के फूल से पूजन करने पर भगवान शंकर सुयोग्य पुत्र प्रदान करते हैं, जो कुल का नाम रोशन करता है।*
🌺 *10. लाल डंठलवाला धतूरा शिव पूजा में शुभ माना गया है।

शनिवार, 25 जुलाई 2020

नेत्र रोग के उपाय चक्षुउपनिषद के अनुष्ठान से 26 जुलाई ......



चक्षु उपनिषद के अनुष्ठान रविपुष्या योग युक्त रविवार की सप्तमी के दिन शुरू किया जाता है इस दिन बिना नमक मिर्च भोजन करके या व्रत रह के शुरू किया जाता है। इसे 21 रविवार नित्य रविवार 12 बार पाठ करना चाहिए तथा  ॐ ह्नीं हंसः बीज मंत्र का 5 माला  हल्दी के माला से करे प्रातः पूर्वाभिमुख होके करे । कैसा भी नेत्र रोग होगा खत्म होने लगेंगे। अगर चश्मा लगा है तो नंबर घटने लगेगा और उतर जायेगा। आइये इसका महात्म्य जाने-
ॐ (भगवान का नाम ले कर कहे)। हे चक्षु के अधिकारी सूर्य देव ! आप चक्षु में चक्षु के तेज रूप में स्थिर हो जायें, मेरी रक्षा करें ! रक्षा करें ! मेरे आंखों के रोगों का शीघ्र शमन करें, शमन करें। मुझे अपना स्वर्ण जैसा तेज दिखला दें, दिखला दें। जिससे में अन्धा न होऊँ (कृपया) वैसे ही उपाय करें, उपाय करें। मेरा कल्याण करें, कल्याण करें। दर्शन शक्ति का अवरोध करने वाले मेरे पूर्वजन्मार्जित जितने भी पाप हैं, सबको जड़ से उखाड़ दें, उखाड़ दें। ॐ (सच्चिदानन्दस्वरूप) नेत्रों को तेज प्रदान करने वाले दिव्यस्वरूप भगवान् भास्कर को नमस्कार है। ॐ करूणाकर अमृतस्वरूप को नमस्कार है। ॐ सूर्य भगवान् को नमस्कार है। ॐ नेत्रों के प्रकाश भगवान सूर्य देव को नमस्कार है। ॐ आकाश बिहारी को नमस्कार है। परम श्रेष्ठस्वरूप को नमस्कार है। ॐ (सबमें क्रिया-शक्ति उत्पन्न करने वाले) रजोगुणरूप सूर्य भगवान को नमस्कार है। (अन्धकार को सर्वथा अपने अंदर समा लेने वाले) तमोगुण के आश्रयभूत भगवान् सूर्य को नमस्कार है। हे भगवान् ! मुझको असत से सत की ओर ले चलिये। अन्धकार से प्रकाश की ओर ले चलिये। मृत्यु से अमृत की ओर ले चलिये। उष्ण स्वरूप भगवान् सूर्य शुचिरूप हैं। हंस स्वरूप भगवान् सूर्य शुचि तथा अप्रतिरूप हैं- उनके तेजोमय स्वरूप की समता करने वाला कोई नहीं है। जो ब्रह्माण इस चाक्षुष्मती विद्या का नित्य पाठ करता है, उसको नेत्र सम्बंधी कोई रोग नहीं होता है। उसके कुल में कोई अंधा नही होता। आठ ब्रह्ममणों को इस विद्या का दान करने पर इसका ग्रहण करा देने पर इस विद्या की सिद्ध होती है।
जो सच्चिदानन्द स्वरूप हैं, सम्पूर्ण विश्व जिनका रूप है, जो किरणों से सुशोभित एवं जातवेदा ( भूत आदि तीनों कालों की बात जानने वाले ) हैं, जो ज्योतिःस्वरूप, हिरण्मय (सुवर्ण के समान कान्तिमान्) पुरूष के रूप में तप रहे हैं, इस सम्पूर्ण विश्व जो एकमात्र उत्पत्ति स्थान हैं, उन प्रचण्ड प्रताप वाले भगवान् सूर्य को नमस्कार करते हैं। ये सूर्यदेव समस्त प्रजाओं ( प्राणियों ) के समक्ष उदित हो रहे हैं।
ॐ नमो भगवते आदित्याय अहोवाहिनी अहोवाहिनी स्वाहा।
ॐ षड्विध ऐश्वर्य से समपन्न भगवान् आदित्य को नमस्कार है। उनकी प्रभा दिन का भार वहन करने वाली है, दिन का भार वहन करने वाली है। हम उन भगवान् के लिये उत्तम आहुति देते हैं। जिन्हें मेघा अत्यंत प्रिय है, वे ऋषिगण उत्तम पंखों वाले पंछी के रूप में भगवान् सूर्य के पास गये और इस प्रकार प्रार्थना करने लगे। ‘भगवन् ! इस अंधकार को छिपा दीजिये, हमारे नेत्रों को प्रकाश से पूर्ण कीजिये तथा तमोमय बन्धन में बधे हुये हम सब प्राणियों को अपना दिव्य प्रकाश देकर मुक्त कीजिये। पुण्डरीकाक्ष को नमस्कार है। पुष्करेक्षण को नमस्कार है। निर्मल नेत्रों वाले अमलेक्षण को नमस्कार है। कमलेक्षण को नमस्कार है। विश्व रूप को नमस्कार है।



26 जुलाई विजया सप्तमी में दान, जप,हवन अनन्त गुणा लाभकारी है ......

🌷 *26 जुलाई विजया सप्तमी में दान, जप,हवन अनन्त गुणा लाभकारी है इसे रविवार की सप्तमी भानु सप्तमी भी कहते है। *शास्त्रों में रविवार के दिन आने वाली सप्तमी को सूर्यग्रहण के समान पुण्यदायी बताया है। इनमें किया गया जप-ध्यान, स्नान , दान व श्राद्ध अक्षय होता है और सैकड़ों जन्मों तक इसका फल प्राप्त होता है।*भविष्यपुराण, मध्यमपर्व, अध्याय 8 में कहा गया है*
🌷 *शुक्ला वा यदि वा कृष्णा षष्ठी वा सप्तमी तु वा । रविवारेण संयुक्ता तिथिः पुण्यतमा स्मृता ।।*
➡ *शुक्ल या कृष्ण पक्षकी षष्ठी या सप्तमी रविवार से युक्त हो तो वह महान पुण्यदायिनी है |*
🙏🏻 *ब्रह्मपुराण, अध्याय 29 के अनुसार*
🌷 *शुक्लपक्षस्य सप्तम्यां यदादित्यदिनं भवेत्॥ २९.२९ ॥* *सप्ती विजया नाम तत्र दत्तं महत् फलम्। स्नानं दानं तपो होम उपवासस्तथैव च॥ २९.३० ॥*
*सर्व्वं विजयसप्तम्यां महापातकनाशनम्।*
🙏🏻 *जब शुक्लपक्ष की सप्तमी को रविवार हो, उस दिन विजयासप्तमी होती है। उसमें दिया हुआ दान महान फल देने वाला है। विजयासप्तमी को किया हुआ स्नान, दान, तप, होम और उपवास सब बड़े बड़े पातकों का नाश करने वाला है।*
🙏🏻 *भविष्यपुराण, ब्राह्मपर्व, अध्याय 81 के अनुसार*
🌷 *शुक्लपक्षस्य सप्तम्यां सूर्यवारो भवेद्यदि । सप्तमी विजया नाम तत्र दत्तं महाफलम् । । २*
*स्नानं दान तथा होमं उपवासस्तथैव च। सर्वं विजयसप्तम्यां महापातकनाशनम् । । ३*
*पञ्चम्यामेकभक्तं स्यात्पष्ठ्यां नक्तं प्रचक्षते । उपवासस्तु सप्तम्यामष्टम्यां पारणं भवेत् । । ४*
🙏🏻 *यदि शुक्ल पक्ष की सप्तमी को रविवार हो तो उसे विजया सप्तमी कहते हैं | उस दिन किया गया स्नान, दान, होम, उपवास, पूजन आदि सत्कर्म महापातकों का विनाश करता है | इस विजया-सप्तमी-व्रत में पंचमी तिथि को दिन में एकभुक्त रहे, षष्ठी तिथि को नक्तव्रत करे और सप्तमी को पूर्ण उपवास करे, तदनन्तर अष्टमी के दिन व्रत की पारणा करे | इस तिथि के दिन किया गया दान, हवन, देवता तथा पितरों का पूजन अक्षय होता है |
आचार्य आशुकवि पङ्कज ऊमर

भानु सप्तमी में विजय प्राप्ति एवं रोग मुक्ति के लिए.….

🌷 *भानु सप्तमी में विजय प्राप्ति एवं रोग मुक्ति के लिए।। 26 जुलाई का लाभ अवश्य उठाये तथा साधक मंत्र सिद्धि ओर जप का भी विशेष लाभ ले। रविवार सप्तमी के दिन जप/ध्यान करने का वैसा ही हजारों गुना फल होता है जैसा की सूर्य/चन्द्र ग्रहण में जप/ध्यान करने से होता
 *रविवार सप्तमी के दिन अगर कोई नमक मिर्च बिना का भोजन करे और सूर्य भगवान की पूजा करे , तो उसकी घातक बीमारियाँ दूर हो सकती हैं , अगर बीमार व्यक्ति न कर सकता हो तो कोई और बीमार व्यक्ति के लिए यह व्रत करे | इस दिन सूर्यदेव का पूजन करना चाहिये |*
🌞 *सूर्य भगवान पूजन विधि* 🌞
🙏🏻 *१) सूर्य भगवान को तिल के तेल का दिया जला कर दिखाएँ , आरती करें |*
🙏🏻 *२) जल में थोड़े चावल ,शक्कर , गुड , लाल फूल या लाल कुम कुम मिला कर सूर्य भगवान को अर्घ्य दें |*
🌞 *सूर्य भगवान अर्घ्य मंत्र* 🌞
🌷 *1. ॐ मित्राय नमः।*
🌷 *2. ॐ रवये नमः।*
🌷 *3. ॐ सूर्याय नमः।*
🌷 *4. ॐ भानवे नमः।*
🌷 *5. ॐ खगाय नमः।*
🌷 *6. ॐ पूष्णे नमः।*
🌷 *7. ॐ हिरण्यगर्भाय नमः।*
🌷 *8. ॐ मरीचये नमः।*
🌷 *9. ॐ आदित्याय नमः।*
🌷 *10. ॐ सवित्रे नमः।*
🌷 *11. ॐ अर्काय नमः।*
🌷 *12. ॐ भास्कराय नमः।*
🌷 *13. ॐ श्रीसवितृ-सूर्यनारायणाय नमः।

घातक से घातक रोगों से मुक्ति पाने का उपाय........

🌷 *घातक से घातक रोगों से मुक्ति पाने का उपाय* 🌷
👉🏻 *26 जुलाई 2020 रविवार को सुबह 09:33 से 27 जुलाई सूर्योदय तक रविवारी सप्तमी है।*
🙏🏻 *रविवार सप्तमी के दिन बिना नमक का भोजन करें। बड़ दादा के १०८ फेरे लें । सूर्य भगवान का पूजन करें, अर्घ्य दें व भोग दिखाएँ, दान करें । तिल के तेल का दिया सूर्य भगवान को दिखाएँ ये मंत्र बोलें :-*
🌷 *"जपा कुसुम संकाशं काश्य पेयम महा द्युतिम । तमो अरिम सर्व पापघ्नं प्रणतोस्मी दिवाकर ।।"*
💥 *नोट : घर में कोई बीमार रहता हो या घातक बीमारी हो तो परिवार का सदस्य ये विधि करें तो बीमारी दूर होगी।
आचार्य आशुकवि पङ्कज ऊमर

🌷 *आइये काल सर्प योग की शांति कराये..........

🌷 *आइये काल सर्प योग की शांति कराये* 🌷
🙏🏻 *नाग पंचमी के दिन , जिन को काल सर्प योग है , वे शांति के लिए ये उपाय करे | पंचमी के दिन पीपल के नीचे, एक दोने में कच्चा दूध रख दीजिये , घी का दीप जलाए , कच्चा आटा , घी और गुड मिला कर एक छोटा लड्डू बना के रख दे और ये मन्त्र बोला कर प्रार्थना करें :-*
🐍 *ॐ अनंताय नमः*
🐍 *ॐ वासुकाय नमः*
🐍 *ॐ शंख पालाय नमः*
🐍 *ॐ तक्षकाय नमः*
🐍 *ॐ कर्कोटकाय नमः*
🐍 *ॐ धनंजयाय नमः*
🐍 *ॐ ऐरावताय नमः*
🐍 *ॐ मणि भद्राय नमः*
🐍 *ॐ धृतराष्ट्राय नमः*
🐍 *ॐ कालियाये नमः*
➡️  *काल सर्प योग है तो उस का प्रभाव निकल जाएगा .. तकलीफ दूर होगी ..काल सर्प योग की शांति होगी …

बुधवार, 22 जुलाई 2020

आइये नागपंचमी में सभी नागों के पूजा के महात्म्य जाने........

                        🌞ॐ🌞
🌷आइये नागपंचमी में सभी नागों के पूजा के महात्म्य जाने🌷
🙏🏻 *श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को नागपंचमी का पर्व मनाया जाता है। इस बार ये पर्व  25 जुलाई, शनिवार को है। इस दिन नागों की पूजा करने का विधान है। हिंदू धर्म में नागों को भी देवता माना गया है। महाभारत आदि ग्रंथों में नागों की उत्पत्ति के बारे में बताया गया है। इनमें शेषनाग, वासुकि, तक्षक आदि प्रमुख हैं। नागपंचमी के अवसर पर हम आपको ग्रंथों में वर्णित प्रमुख नागों के बारे में बता रहे हैं-*
🐍 *तक्षक नाग*
*धर्म ग्रंथों के अनुसार, तक्षक पातालवासी आठ नागों में से एक है। तक्षक के संदर्भ में महाभारत में वर्णन मिलता है। उसके अनुसार, श्रृंगी ऋषि के शाप के कारण तक्षक ने राजा परीक्षित को डसा था, जिससे उनकी मृत्यु हो गयी थी। तक्षक से बदला लेने के उद्देश्य से राजा परीक्षित के पुत्र जनमेजय ने सर्प यज्ञ किया था। इस यज्ञ में अनेक सर्प आ-आकर गिरने लगे। यह देखकर तक्षक देवराज इंद्र की शरण में गया।*
🙏🏻 *जैसे ही ऋत्विजों (यज्ञ करने वाले ब्राह्मण) ने तक्षक का नाम लेकर यज्ञ में आहुति डाली, तक्षक देवलोक से यज्ञ कुंड में गिरने लगा। तभी आस्तिक ऋषि ने अपने मंत्रों से उन्हें आकाश में ही स्थिर कर दिया। उसी समय आस्तिक मुनि के कहने पर जनमेजय ने सर्प यज्ञ रोक दिया और तक्षक के प्राण बच गए।*
🐍 *कर्कोटक नाग*
*कर्कोटक शिव के एक गण हैं। पौराणिक कथाओं के अनुसार, सर्पों की मां कद्रू ने जब नागों को सर्प यज्ञ में भस्म होने का श्राप दिया तब भयभीत होकर कंबल नाग ब्रह्माजी के लोक में, शंखचूड़ मणिपुर राज्य में, कालिया नाग यमुना में, धृतराष्ट्र नाग प्रयाग में, एलापत्र ब्रह्मलोक में और अन्य कुरुक्षेत्र में तप करने चले गए।*
🙏🏻 *ब्रह्माजी के कहने पर कर्कोटक नाग ने महाकाल वन में महामाया के सामने स्थित शिव  लिंग की स्तुति की। शिव ने प्रसन्न होकर कहा- जो नाग धर्म का आचरण करते हैं, उनका विनाश नहीं होगा। इसके बाद कर्कोटक नाग उसी शिवलिंग में प्रवेश कर गया। तब से उस लिंग को कर्कोटेश्वर कहते हैं। मान्यता है कि जो लोग पंचमी, चतुर्दशी और रविवार के दिन कर्कोटेश्वर शिवलिंग की पूजा करते हैं उन्हें सर्प पीड़ा नहीं होती।*
🐍 *कालिया नाग*
*श्रीमद्भागवत के अनुसार, कालिया नाग यमुना नदी में अपनी पत्नियों के साथ निवास करता था। उसके जहर से यमुना नदी का पानी भी जहरीला हो गया था। श्रीकृष्ण ने जब यह देखा तो वे लीलावश यमुना नदी में कूद गए। यहां कालिया नाग व भगवान श्रीकृष्ण के बीच भयंकर युद्ध हुआ। अंत में श्रीकृष्ण ने कालिया नाग को पराजित कर दिया। तब कालिया नाग की पत्नियों ने श्रीकृष्ण से कालिया नाग को छोडऩे के लिए प्रार्थना की। तब श्रीकृष्ण ने उनसे कहा कि तुम सब यमुना नदी को छोड़कर कहीं और निवास करो। श्रीकृष्ण के कहने पर कालिया नाग परिवार सहित यमुना नदी छोड़कर कहीं और चला गया।*
*इनके अलावा कंबल, शंखपाल, पद्म व महापद्म आदि नाग भी धर्म ग्रंथों में पूज्यनीय बताए गए हैं।

फूल धातु की थाली का वैदिक मांत्रिक करे.....

फूल की थाली का वैदिक मांत्रिक कर नित्य भोजन करें नही होगा स्क्रीन प्रोब्लेम, सफेद दाग ,आदि त्वचा सम्बंधित सभी विकारों में अत्यंत लाभकारी होगा यह योग 26,02 जुलाई को है। जिसको भी ये प्राप्त करना हो बताये।

मंगलवार, 14 जुलाई 2020

16 जुलाई सूर्य का कृतिका नक्षत्र में प्रवेश कर्क सक्रांति का योग का लाभ ले......


🙏🏻 *06 जुलाई 2020 सोमवार से भगवान शिव का पवित्र श्रावण (सावन) मास शुरू हो चुका है, जो 03 अगस्त सोमवार तक रहेगा (गुजरात एवं महाराष्ट्र के अनुसार अषाढ़ मास चल रहा है वहां 21 जुलाई मंगलवार से श्रावण (सावन) मास आरंभ होगा)*
🙏🏻 *शिवपुराण के अनुसार श्रावण मास के प्रत्येक रविवार को, हस्त नक्षत्र से युक्त सप्तमी तिथि को सूर्य भगवान की पूजा विशेष फलदायी होती है ऐसा स्वं हावी ने बताया है। श्रावण के रविवार को शिवपूजा पाप नाशक कही गयी है। अतः12 जुलाई 2020, 19 जुलाई 2020, 26 जुलाई 2020, 02 अगस्त 2020 को सूर्य भगवान की पूजा जरूर करें। श्रावण में हस्त नक्षत्र से युक्त सप्तमी तिथि मिलना बहुत मुश्किल है। यह योग 26 जुलाई 2031 को बनेगा।*
🙏🏻 *अग्निपुराण के अनुसार*
*" कृता हस्ते सूर्यवारं नतेन्नाब्दं स सर्वभाक " अर्थात हस्तनक्षत्रीकृत रविवार को एक वर्ष तक नक्तव्यत द्वारा मनुष्य सब कुछ पा लेता है |*
🌞 *कहते हैं सूर्य शिव के मंदिर में निवास करता है अतः शिव मंदिर में भोलेनाथ तथा सूर्य दोनों की की पूजा अर्चना करनी चाहिए।*
🙏🏻 *शिवपुराण में सूर्यदेव को शिव का स्वरूप व नेत्र भी बताया गया है, जो एक ही ईश्वरीय सत्ता का प्रमाण है। सूर्य और शिव की उपासना जीवन में सुख, स्वास्थ्य, काल भय से मुक्ति और शांति देने वाली मानी गई है।*
🌞 *श्रावण में सूर्य पूजा कैसे करें :*
🙏🏻 *सूर्योदय के समय सूर्य को प्रणाम करें, सूर्य को ताम्बे (ताम्र) के लोटे से “जल, गंगाजल, चावल, लाल फूल(गुडहल आदि), लाल चन्दन" मिला कर अर्घ्य दें | सूर्यार्घ्य का मन्त्र: “ॐ एहि सूर्य सहस्त्रांशो तेजोराशे जगत्पते। अनुकम्पय मां भक्त्या गृहाणार्घ्यं दिवाकर” है। अगर यह नहीं बोल सकते तो  ॐ अदित्याये नमः अथवा ॐ घृणि सूर्याय नमः का जप करे ।*
🙏🏻 *प्रतिदिन 12 ज्योतिर्लिंगों के नामों का स्मरण करें।*
🙏🏻 *शिवलिंग पर घी, शहद, गुड़ तथा लाल चन्दन अर्पित करें । सभी चीज़ें अर्पित न कर पाओ तो कोई भी एक अर्पित करें। लाल रंग के पुष्प जरूर अर्पित करें।*
🔥 *शिव मंदिर में ताम्बे के दीपक में ज्योत जलाएं।*
🙏🏻 *प्रतिदिन अत्यन्त प्रभावशाली आदित्यहृदय स्तोत्र का पाठ करें। भविष्यपुराण के अनुसार जो रविवार को नक्त-व्रत एवं आदित्यह्रदय का पाठ करते है वे रोग से मुक्त हो जाते हैं और सूर्यलोक में निवास करते हैं।*
*युधिष्ठिरविरचितं सूर्यस्तोत्र का पाठ करें।*
🙏🏻 *12 मुखी रुद्राक्ष भगवान सूर्य के बारह रूपों के ओज, तेज और शक्ति का केन्द्र बिन्दू है। इसे जो भी पहनता है उसे हर तरह का धन वैभव ज्ञान और सभी तरह के भौतिक सुख मिलते है।*
🙏🏻 *सूर्य यदि शनि या राहू के साथ हो तो रविवार को रुद्राभिषेक करवायें।*
🙏🏻 *प्रतिदिन गायत्री मंत्र का कम से कम 108 बार पाठ करें*
*निम्न मंत्र से शिव का ध्यान करें - "नम: शिवाय शान्ताय सगयादिहेतवे। रुद्राय विष्णवे तुभ्यं ब्रह्मणे सूर्यमूर्तये।।"*
*शिवप्रोक्त सूर्याष्टकम का नित्य पाठ करें ।*
🙏🏻 *दोनों नेत्रों तथा मस्तक के रोग में और कुष्ठ रोग की शान्ति के लिये भगवान् सूर्य की पूजा करके ब्राह्मणों को भोजन कराये। शिवलिंग पूजन आक के पुष्पों, पत्तों एवं बिल्व पत्रों से करें। तदनंतर एक दिन, एक मास, एक वर्ष अथवा तीन वर्षतक लगातार ऐसा साधन करना चाहिये।  इससे यदि प्रबल प्रारब्धका निर्माण हो जाय तो रोग एवं जरा आदि रोगों का नाश हो जाता हैं।*
🌞 *सूर्याष्टकम*
*आदिदेव नमस्तुभ्यं प्रसीद मम भास्कर ।*
*दिवाकर नमस्तुभ्यं प्रभाकर नमोऽस्तुते ॥*
*सप्ताश्वरथमारूढं प्रचण्डं कश्यपमात्मजम् ।*
*श्वेत पद्मधरं देवं तं सूर्यं प्रणमाम्यहम ॥*
*लोहितं रथमारूढं सर्वलोकपितामहम् ।*
*महापापहरं देवं तं सूर्यं प्रणमाम्यहम्॥*
*त्रैगुण्यं च महाशूरं ब्रह्मविष्णुमहेश्वम् ।*
*महापापहरं देवं तं सूर्यं प्रणमाम्यहम् ॥*
*बृंहितं तेजःपुञ्जं च वायुमाकाशमेव च ।*
*प्रभुं च सर्व लोकानां तं सूर्यं प्रणमाम्यहम् ॥*
*बन्धुकपुष्पसङ्काशं हारकुण्डलभूषितम् ।*
*एकचधरं देवं तं सूर्यं प्रणमाम्यहम् ॥*
*तं सूर्यं जगत्कर्तारं महातेज: प्रदीपनम् ।*
*महापापहरं देवं तं सूर्यं प्रणमाम्यहम् ॥*
*तं सूर्यं जगतां नाथं ज्ञानविज्ञानमोक्षदम् ।*
*महापापहरं देवं तं सूर्यं प्रणमाम्यहम् ॥*
*॥इति श्री शिवप्रोक्तं सूर्याष्टकं सम्पूर्णम्॥*📖
आचार्य आशुकवि पङ्कज ऊमर


एकादशी को क्या ना करें 16 जुलाई..........


🌷 *एकादशी के दिन ये सावधानी रहे* 🌷
🙏🏻 *महीने में १५-१५ दिन में  एकादशी आती है एकादशी का व्रत पाप और रोगों को स्वाहा कर देता है लेकिन वृद्ध, बालक और बीमार व्यक्ति एकादशी न रख सके तभी भी उनको चावल का तो त्याग करना चाहिए एकादशी के जो दिन चावल खाता है... तो धार्मिक ग्रन्थ से एक- एक चावल एक- एक कीड़ा खाने का पाप लगता है...ऐसा डोंगरे जी महाराज के भागवत में डोंगरे जी महाराज ने कहा।
आचार्य आशुकवि पङ्कज ऊमर

एकादशी में जरूर करे नही होंगे घर/ ऑफिस मे झगड़े........


🌷 *एकादशी के दिन घर / ऑफिस के झगड़े शांत करें
🙏🏻 *एकादशी को दिया जला के विष्णु सहस्त्र नाम पढ़ें .......विष्णु सहस्त्र नाम नहीं हो तो १० माला गुरुमंत्र का जप कर लें l अगर घर में झगडे होते हों, तो झगड़े शांत हों जायें ऐसा संकल्प करके विष्णु सहस्त्र नाम पढ़ें ।

16 जुलाई गुरुवार को एकादशी का व्रत (उपवास) रखना है.......


🌷 *कामिका एकादशी 15 जुलाई 2020 बुधवार को रात्रि 10:20 से 16 जुलाई गुरुवार को रात्रि 11:44 तक एकादशी है ।*
🙏🏻 *एकादशी व्रत के पुण्य के समान और कोई पुण्य नहीं है ।*
🙏🏻 *जो पुण्य सूर्यग्रहण में दान से होता है, उससे कई गुना अधिक पुण्य एकादशी के व्रत से होता है ।*
🙏🏻 *जो पुण्य गौ-दान सुवर्ण-दान, अश्वमेघ यज्ञ से होता है, उससे अधिक पुण्य एकादशी के व्रत से होता है ।*
🙏🏻 *एकादशी करनेवालों के पितर नीच योनि से मुक्त होते हैं और अपने परिवारवालों पर प्रसन्नता बरसाते हैं ।इसलिए यह व्रत करने वालों के घर में सुख-शांति बनी रहती है ।*
🙏🏻 *धन-धान्य, पुत्रादि की वृद्धि होती है ।*
🙏🏻 *कीर्ति बढ़ती है, श्रद्धा-भक्ति बढ़ती है, जिससे जीवन रसमय बनता है ।*
🙏🏻 *परमात्मा की प्रसन्नता प्राप्त होती है ।पूर्वकाल में राजा नहुष, अंबरीष, राजा गाधी आदि जिन्होंने भी एकादशी का व्रत किया, उन्हें इस पृथ्वी का समस्त ऐश्वर्य प्राप्त हुआ ।भगवान शिवजी  ने नारद से कहा है : एकादशी का व्रत करने से मनुष्य के सात जन्मों के पाप नष्ट हो जाते हैं, इसमे कोई संदेह नहीं है । एकादशी के दिन किये हुए व्रत, गौ-दान आदि का अनंत गुना पुण्य होता है ।*
आचार्य आशुकवि पङ्कज ऊमर

सोमवार, 13 जुलाई 2020

अष्ट लक्ष्मी प्राप्ति मन्त्र सिद्ध करें ........


🌷 *अष्ट लक्ष्मी प्राप्ति मन्त्र* 🌷
सदगुरू की कृपा से अष्‍टलक्ष्‍मी (अदि लक्ष्मी,धान्य लक्ष्मी, धन लक्ष्मी,धैर्य लक्ष्मी,गज्ज लक्ष्मी, संतान लक्ष्मी ,विद्या लक्ष्मी,विजय लक्ष्मी) प्राप्‍त हो जाती है ....रोज यह मंत्र बोलकर अष्‍टलक्ष्‍मी का आह्वान  कर सकें तो गुरूकृपा से यह सहज में प्राप्‍त हो जाती है -*
🌷 *सिद्धि बुद्धि प्रदे देवि भुक्ति मुक्ति प्रदायिनि |*

*मंत्रपूर्ते सदा देवि महालक्ष्‍मी नमोस्‍तुते ||*

*नमस्‍तेस्‍तु महामाये श्रीपीठे सुरपूजिते |*

*शंखचक्रगदाहस्‍ते महालक्ष्‍मी नमोस्‍तुते ||*

*ॐ श्रीमहालक्ष्‍म्‍यै नम:*

*ॐ श्रीमहालक्ष्‍म्‍यै नम:*
आचार्य  आशुकवि पङ्कज ऊमर

🌞 श्रावण में हस्त नक्षत्र में सूर्य पूजा का अद्भुत फल विशेष पूजा 26 जुलाई

🌞 श्रावण में हस्त नक्षत्र में  सूर्य पूजा का फल 🌷
🙏🏻 *06 जुलाई 2020 सोमवार से भगवान शिव का पवित्र श्रावण (सावन) मास शुरू हो चुका है, जो 03 अगस्त सोमवार तक रहेगा (गुजरात एवं महाराष्ट्र के अनुसार अषाढ़ मास चल रहा है वहां 21 जुलाई मंगलवार से श्रावण (सावन) मास आरंभ होगा)*
🙏🏻 *शिवपुराण के अनुसार श्रावण मास के प्रत्येक रविवार को, हस्त नक्षत्र से युक्त सप्तमी तिथि को सूर्य भगवान की पूजा विशेष फलदायी होती है ऐसा स्वं हावी ने बताया है। श्रावण के रविवार को शिवपूजा पाप नाशक कही गयी है। अतः12 जुलाई 2020, 19 जुलाई 2020, 26 जुलाई 2020, 02 अगस्त 2020 को सूर्य भगवान की पूजा जरूर करें। श्रावण में हस्त नक्षत्र से युक्त सप्तमी तिथि मिलना बहुत मुश्किल है। यह योग 26 जुलाई 2031 को बनेगा।*
🙏🏻 *अग्निपुराण के अनुसार*
*" कृता हस्ते सूर्यवारं नतेन्नाब्दं स सर्वभाक " अर्थात हस्तनक्षत्रीकृत रविवार को एक वर्ष तक नक्तव्यत द्वारा मनुष्य सब कुछ पा लेता है |*
🌞 *कहते हैं सूर्य शिव के मंदिर में निवास करता है अतः शिव मंदिर में भोलेनाथ तथा सूर्य दोनों की की पूजा अर्चना करनी चाहिए।*
🙏🏻 *शिवपुराण में सूर्यदेव को शिव का स्वरूप व नेत्र भी बताया गया है, जो एक ही ईश्वरीय सत्ता का प्रमाण है। सूर्य और शिव की उपासना जीवन में सुख, स्वास्थ्य, काल भय से मुक्ति और शांति देने वाली मानी गई है।*
🌞 *श्रावण में सूर्य पूजा कैसे करें :*
🙏🏻 *सूर्योदय के समय सूर्य को प्रणाम करें, सूर्य को ताम्बे (ताम्र) के लोटे से “जल, गंगाजल, चावल, लाल फूल(गुडहल आदि), लाल चन्दन" मिला कर अर्घ्य दें | सूर्यार्घ्य का मन्त्र: “ॐ एहि सूर्य सहस्त्रांशो तेजोराशे जगत्पते। अनुकम्पय मां भक्त्या गृहाणार्घ्यं दिवाकर” है। अगर यह नहीं बोल सकते तो  ॐ अदित्याये नमः अथवा ॐ घृणि सूर्याय नमः का जप करे ।*
🙏🏻 *प्रतिदिन 12 ज्योतिर्लिंगों के नामों का स्मरण करें।*
🙏🏻 *शिवलिंग पर घी, शहद, गुड़ तथा लाल चन्दन अर्पित करें । सभी चीज़ें अर्पित न कर पाओ तो कोई भी एक अर्पित करें। लाल रंग के पुष्प जरूर अर्पित करें।*
🔥 *शिव मंदिर में ताम्बे के दीपक में ज्योत जलाएं।*
🙏🏻 *प्रतिदिन अत्यन्त प्रभावशाली आदित्यहृदय स्तोत्र का पाठ करें। भविष्यपुराण के अनुसार जो रविवार को नक्त-व्रत एवं आदित्यह्रदय का पाठ करते है वे रोग से मुक्त हो जाते हैं और सूर्यलोक में निवास करते हैं।*
*युधिष्ठिरविरचितं सूर्यस्तोत्र का पाठ करें।*
🙏🏻 *12 मुखी रुद्राक्ष भगवान सूर्य के बारह रूपों के ओज, तेज और शक्ति का केन्द्र बिन्दू है। इसे जो भी पहनता है उसे हर तरह का धन वैभव ज्ञान और सभी तरह के भौतिक सुख मिलते है।*
🙏🏻 *सूर्य यदि शनि या राहू के साथ हो तो रविवार को रुद्राभिषेक करवायें।*
🙏🏻 *प्रतिदिन गायत्री मंत्र का कम से कम 108 बार पाठ करें*
*निम्न मंत्र से शिव का ध्यान करें - "नम: शिवाय शान्ताय सगयादिहेतवे। रुद्राय विष्णवे तुभ्यं ब्रह्मणे सूर्यमूर्तये।।"*
*शिवप्रोक्त सूर्याष्टकम का नित्य पाठ करें ।*
🙏🏻 *दोनों नेत्रों तथा मस्तक के रोग में और कुष्ठ रोग की शान्ति के लिये भगवान् सूर्य की पूजा करके ब्राह्मणों को भोजन कराये। शिवलिंग पूजन आक के पुष्पों, पत्तों एवं बिल्व पत्रों से करें। तदनंतर एक दिन, एक मास, एक वर्ष अथवा तीन वर्षतक लगातार ऐसा साधन करना चाहिये।  इससे यदि प्रबल प्रारब्धका निर्माण हो जाय तो रोग एवं जरा आदि रोगों का नाश हो जाता हैं।*
🌞 *सूर्याष्टकम*
*आदिदेव नमस्तुभ्यं प्रसीद मम भास्कर ।*
*दिवाकर नमस्तुभ्यं प्रभाकर नमोऽस्तुते ॥*
*सप्ताश्वरथमारूढं प्रचण्डं कश्यपमात्मजम् ।*
*श्वेत पद्मधरं देवं तं सूर्यं प्रणमाम्यहम ॥*
*लोहितं रथमारूढं सर्वलोकपितामहम् ।*
*महापापहरं देवं तं सूर्यं प्रणमाम्यहम्॥*
*त्रैगुण्यं च महाशूरं ब्रह्मविष्णुमहेश्वम् ।*
*महापापहरं देवं तं सूर्यं प्रणमाम्यहम् ॥*
*बृंहितं तेजःपुञ्जं च वायुमाकाशमेव च ।*
*प्रभुं च सर्व लोकानां तं सूर्यं प्रणमाम्यहम् ॥*
*बन्धुकपुष्पसङ्काशं हारकुण्डलभूषितम् ।*
*एकचधरं देवं तं सूर्यं प्रणमाम्यहम् ॥*
*तं सूर्यं जगत्कर्तारं महातेज: प्रदीपनम् ।*
*महापापहरं देवं तं सूर्यं प्रणमाम्यहम् ॥*
*तं सूर्यं जगतां नाथं ज्ञानविज्ञानमोक्षदम् ।*
*महापापहरं देवं तं सूर्यं प्रणमाम्यहम् ॥*
*॥इति श्री शिवप्रोक्तं सूर्याष्टकं सम्पूर्णम्॥*
आचार्य आशुकवि पङ्कज ऊमर
अन्तराष्ट्रीय शोधार्थी भारत
ज्योतिष गुप्तचर विभाग दिल्ली

सोमवार, 6 जुलाई 2020

श्रावण मास हस्त युक्त सत्तमी तिथि में करे सूर्य उपासना

श्रावण मास हस्त युक्त सत्तमी तिथि में करे सूर्य उपासना
शिवपुराण के अनुसार श्रावण मास के प्रत्येक रविवार को, हस्त नक्षत्र से युक्त सप्तमी तिथि को सूर्य भगवान की पूजा विशेष फलदायी होती है ऐसा स्वं हावी ने बताया है। श्रावण के रविवार को शिवपूजा पाप नाशक कही गयी है। अतः12 जुलाई 2020, 19 जुलाई 2020, 26 जुलाई 2020, 02 अगस्त 2020 को सूर्य भगवान की पूजा जरूर करें। श्रावण में हस्त नक्षत्र से युक्त सप्तमी तिथि मिलना बहुत मुश्किल है। यह योग 26 जुलाई 2031 को बनेगा अग्निपुराण के अनुसार*
*" कृता हस्ते सूर्यवारं नतेन्नाब्दं स सर्वभाक " अर्थात हस्तनक्षत्रीकृत रविवार को एक वर्ष तक नक्तव्यत द्वारा मनुष्य सब कुछ पा लेता है।

शनिवार, 4 जुलाई 2020

गुरु पूर्णिमा को ज्ञान प्राप्ति का अद्भुत साधन


5_जुलाई दिन रविवार को लगने वाला यह चंद्रग्रहण उपछाया चंद्रग्रहण है,

5_जुलाई दिन रविवार को लगने वाला यह चंद्रग्रहण उपछाया चंद्रग्रहण है,
जिसमें सूतक अथवा ग्रहण के कोई भी नियम पालनीय नहीं होते हैं।
 भारत के समयानुसार ग्रहण काल समय - सुबह 08:37 बजे से 11:23 तक।
 #यह ग्रहण भारत में नहीं दिखेगा ।ग्रहण के समय जप-ध्यान करने से पुण्य लाभ होता है ।

आइये सौभाग्य-रक्षा और सुख-शांति व समृद्धि बढ़ाने हेतु

 🌷 *आइये सौभाग्य-रक्षा और सुख-शांति व समृद्धि बढ़ाने हेतु एक प्रयोग सीखे..👩🏻 माताएँ-बहनें रोज स्नान के बाद पार्वती माता का स्मरण करते-करत...